महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं

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महीनों बाद दफ़्तर आ रहे हैं
हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं

तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं
अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं

कहाँ सोया है चौकीदार मेरा
ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं

समंदर कर चुका तस्लीम हमको
ख़ज़ाने ख़ुद ही ऊपर आ रहे हैं

यही एक दिन बचा था देखने को
उसे बस में बिठा कर आ रहे हैं

तहज़ीब हाफ़ी

तहज़ीब हाफ़ी (जन्म - 5 दिसंबर, 1988) मूलतः पाकिस्तान से हैं और मौज़ूदा दौर के मशहूर शायरों में से एक हैं। आपने मेहरान यूनीवर्सिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनिरिंग करने के बाद बहावलपुर यूनीवर्सिटी से उर्दू में एम.ए किया है। आजकल आप लाहौर में रहते हैं।

तहज़ीब हाफ़ी (जन्म - 5 दिसंबर, 1988) मूलतः पाकिस्तान से हैं और मौज़ूदा दौर के मशहूर शायरों में से एक हैं। आपने मेहरान यूनीवर्सिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनिरिंग करने के बाद बहावलपुर यूनीवर्सिटी से उर्दू में एम.ए किया है। आजकल आप लाहौर में रहते हैं।

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