भूतपूर्व प्रेमिकाओं को पत्र

देवियों, माताओं और बहनों, अब मात्र यही सम्बोधन शेष बचे हैं जिनसे इस देश में एक पुराना प्रेमी अपनी अतीत की प्रेमिकाओं को पुकार सकता है. वे सब कोमल मीठे शब्द, जिनका

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चिकित्सा का चक्कर

मैं बिलकुल हट्टा-कट्टा हूँ। देखने में मुझे कोई भला आदमी रोगी नहीं कह सकता। पर मेरी कहानी किसी भारतीय विधवा से कम करुण नहीं है, यद्यपि मैं विधुर नहीं हूँ। मेरी आयु

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एक अशुद्ध बेवक़ूफ़

बिना जाने बेवक़ूफ़ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा हूँ और जो मुझे कहा जा

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प्रेमियों की वापसी

नदी के किनारे बैठकर दोनों ने अंतिम चिट्ठी लिखी- “यह दुनिया क्रूर है। प्रेमियों को मिलने नहीं देती। हम इसे छोड़कर उस लोक जा रहे हैं, जहां प्रेम के मार्ग में कोई

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प्रेमचंद के फटे जूते

प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां

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दो नाक वाले लोग

मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो। पर वे बुजुर्ग कह रहे थे – आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट

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कहावतों का चक्कर

जब मैं हाईस्कूल में पढ़ता था, तब हमारे अंग्रेज़ी के शिक्षक को कहावतें और सुभाषित रटवाने की बड़ी धुन थी. सैकड़ों अंग्रेज़ी कहावतें उन्होंने हमें रटवाई और उनका विश्वास था की यदि हमने

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आदर्श चरित्र

खट्टर काका ने मेरे हाथ में पुस्तक देखकर पूछा – आज बड़ी मोटी पुस्तक लेकर चले हो, जी! मैंने कहा – आदर्श चरितावली है। खट्टर काका मुस्कुरा उठे। बोले – आजकल कोई

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ग़ालिब के परसाई

तमाम दूबों, चौबों, तिवारियों, वर्माओं, श्रीवास्तवों, मिश्रों को चुनौती है – बता दे कोई , अगर ग़ालिब के पूरे दीवान में कहीं किसी का ज़िक्र हो। कबीरदास ने अलबत्ता हमारे पड़ोसी पाण्डेयजी

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