कितनी प्रकार की रामायण? तीन सौ? तीन हजार? कुछ रामायणों के अन्त में कभी-कभी एक प्रश्न पूछा जाता है कि यहाँ कितनी प्रकार की रामायण सामने आई हैं? और यहाँ कुछ कथाएँ
कितनी प्रकार की रामायण? तीन सौ? तीन हजार? कुछ रामायणों के अन्त में कभी-कभी एक प्रश्न पूछा जाता है कि यहाँ कितनी प्रकार की रामायण सामने आई हैं? और यहाँ कुछ कथाएँ
Moreमेरी कविता का आधार आस्था है, इस आस्था के पचीस शील हैं जो नीचे लिखे गए हैं। पहला शील – मैं बहुत अक्लमंद हूँ। मुझ जैसे और भी हैं। बहुत-से ऐसे हैं
Moreदिनकर राष्ट्रीय भाव धारा के प्रमुख कवि हैं। इस प्रसंग में ध्यान देने की बात यह कि राष्ट्रीय भाव धारा में कई अंतर्धाराएँ हैं, जैसे राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम की कई धाराएँ हैं।
Moreमध्यकाल जिसे कहते हैं उसको दो संदर्भों में देखना चाहिए। साहित्य के इतिहास का काल विभाजन प्रायः समाज के इतिहास के काल विभाजन के आधार पर ही होता है। इसमें कभी-कभी विडंबनापूर्ण
Moreयदि ”प्रच्छन्नता का उद्घाटन,” जैसा कि आचार्य शुक्ल आचार्य शुक्ल ने कहा है: ”कवि-कर्म का प्रमुख अंग है” तो आलोचना-कर्म का वह अभिन्न अंग है। यह प्रच्छन्नता सभ्यता के आवरण निर्मित करते
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