ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिये
मेरे रब की मुझ पर इनायत हुई कहूँ भी तो कैसे इबादत हुई हक़ीक़त हुई जैसे मुझ पर अयाँ अलम बन गया है ख़ुदा की जुबां मुख़ातिब है बंदे से परवरदिगार तू
Moreइस बस्ती के इक कूचे में इक ‘इंशा’ नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप
Moreसईउ नी मेरे गल लग रोवो नी मेरी उमरा बीती जाए उमरा दा रंग कच्चा पीला निस दिन फिट्टदा जाए सईउ नी मेरे गल लग्ग रोवो नी मेरी उमर बीती जाए ।
Moreरात सुनसान है तारीक़ है दिल का आंगन आसमां पर कोई तारा न जमीं पर जुगनू टिमटिमाते हैं मेरी तरसी हुई आँखों में कुछ दीये तुम जिन्हें देखोगे तो कहोगे : आंसू
Moreतुम अकेली नहीं हो सहेली जिसे अपने वीरान घर को सजाना था और एक शायर के लफ़्ज़ों को सच मानकर उसकी पूजा में दिन काटने थे तुमसे पहले भी ऐसा ही इक
Moreएक लड़की, उदास लड़की, बला की उदास लड़की! .. जिसके नाज़ुक होंटों से गिर पड़ती है कोई रूमानी नज़्म, बोलते हुए, एक नज़्म , रूमानी नज़्म, बला की रूमानी नज़्म! … जिसकी
Moreगुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं उदास तुम भी हो यारो उदास हम भी हैं फ़क़त तुम्हीं को नहीं रंज-ए-चाक-दामानी कि सच कहें तो दरीदा-लिबास हम भी हैं तुम्हारे बाम की
Moreतू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे तू किसी और ही मौसम की महक लायी थी डर रहा था कि कहीं ज़ख़्म न भर जाएँ मेरे और तू मुठ्ठीयाँ भर
Moreमुर्शिद प्लीज़ आज मुझे वक़्त दीजिये मुर्शिद मैं आज आप को दुखड़े सुनाऊँगा मुर्शिद हमारे साथ बड़ा ज़ुल्म हो गया मुर्शिद हमारे देश में इक जंग छिड़ गयी मुर्शिद सभी शरीफ़ शराफ़त
Moreज़िक्र उस परीवश का और फिर बयाँ अपना बन गया रक़ीब आख़िर था जो राज़दाँ अपना (ग़ालिब) ‘ज़िक्र परीवश का-’ जिसके गालों में टिप्पे पड़ते हैं जिसके दाँतों में बर्क़ रखी है
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