कलम का सिपाही

आँखों के आगे से रहे-सहे पर्दे भी गिरते जा रहे हैं। समष्टि का आदर्श जो अब तक केवल एक भावना थी, अब उसे बुद्धि का पक्का आधार मिल रहा है। ‘राष्ट्रीयता और

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