तुम्हें ढोना है समय का भार

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तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो

हाथ जो मिला था इन्कलाब के लिये, कुर्सी के लिए कैसे सलाम हो गया
संतों ने उपदेश सारे देश को दिया, कैसे एक जात का पैगाम हो गया
जो भी आया देश को बचाने के लिए, धर्म के दलालों का गुलाम हो गया
हम तो हिंदू, मुस्लिम और सिक्ख हो गए, पर नानक का नाम बदनाम हो गया
बोलो कौन है इन सब का जिम्मेदार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो

अपनी ही उड़ान को संभाल लो जरा, दूसरों की चाल पे तन्कीद न करो
जिससे बैर फैलता है भाई-भाई में, ऐसी होली दिवाली या ईद न करो
आग जो लगाते है हमारे गाँव में, उनसे देशभक्ति की उम्मीद न करो
इन गलियारों के फालतू बबूलों के लिये, क्यारी के गुलाबों को शहीद न करो
हमें रहना होगा थोड़ा होशियार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो

आदमी को आदमी बनाने के लिए, फिर वही कहानी दोहरानी चाहिए
टूटने से देश को बचाने के लिये, सीधी सच्ची बात है जवानी चाहिए
चूड़ावत को रोष दिलाने के लिए, शीश देने वाली हाड़ी रानी चाहिए
हड्डियों के ढाचों को गलाने के लिए, अब गंगा नहीं चुल्लू भर पानी चाहिए
ऐसे कैसे होगा मेरे सरकार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो

मांगने से रौशनी मिलेगी न कभी, रौशनी के वास्ते मशाल लाइए
जिंदगी को जिंदगी बनाने के लिए, जिन्दा दिल इरादों में उछाल लाइए
मुर्दा है व्यवस्था तो बदल दीजिए, धीरे-धीरे खून में उबाल लाइए
सूरज तिजोरियों में बंद है अगर, तो तोड़िये तिजोरियाँ निकाल लाइए
चेतो-चेतो रे मेरे यार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो

प्रेमजी प्रेम

प्रेमजी प्रेम राजस्थानी भाषा के अग्रणी कवियों में से एक हैं.

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