हर सदफ़ में गुहर हो जरूरी है क्या
हर फ़ुगाँ में असर हो जरूरी है क्या
वो जैसा मिला हमने क़बूल कर लिया
हर बश़र में मलक हो जरूरी है क्या
आस्तीनों में हैं पर क्या अपने नहीं हैं
हर मारगुर्जः में ज़हर हो जरूरी है क्या
अलग बात है अब वो क़ुर्बत नहीं है
कोई दिल बदर हो जरूरी है क्या
चश्मे सियाह दोनों पर ए इश्क सुन
दुनिया से ग़फ़ल हो जरूरी है क्या
पाँव रखो, इतना भी क्या डर रहे हो
जुनूँन में फ़रह हो जरूरी है क्या
[ 1. सदफ़ – सीप 2. गुहर -मोती 3. फुंग़ा – फ़रियाद 4. बश़र – आदमी 5. मलक – फ़रिश्ता 6. मारगुर्जः – फन वाला सांप 7. चश्मे सियाह – प्रेमिका के लिए प्रयोग हो तो सुंदर आँखें और अपने लिए प्रयोग हो तो अंधी आँखें 8. ग़फ़ल – बेख़बरी 9. फ़रह – आनंद , खुशी ]

रोमेश चतुर्वेदी
रोमेश चतुर्वेदी पेशे से पत्रकार व कवि हैं। आपकी रचनाएँ ही आपकी पहचान हैं। आपसे romeshchaturvedi17@gmail.com पे बात की जा सकती है।