मैंने पहली बार महसूस किया है कि नंगापन अन्धा होने के खिलाफ़ एक सख्त कार्यवाही है उस औरत की बगल में लेटकर मुझे लगा कि नफ़रत और मोमबत्तियाँ जहाँ बेकार साबित हो
मैंने उसको जब-जब देखा लोहा देखा लोहे जैसा तपते देखा गलते देखा ढलते देखा मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा!
Moreदिखने में जो अक्सर आसान से दिखते हैं एक कवि को करने होते हैं ऐसे कई पेचीदा काम मसलन बहुत सारे कठिन कामों में एक कठिन काम है नदियों की कलकल करती
Moreक्या करे समुद्र क्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और कहाँ खो गईं क्या पता कितनी भाप बनाकर उड़ा दीं इसका भी कोई हिसाब उसके पास नहीं फिर भी
Moreएक बार और जाल फेंक रे मछेरे जाने किस मछली में बंधन की चाह हो! सपनों की ओस गूँथती कुश की नोक है हर दर्पण में उभरा एक दिवालोक है रेत के
Moreप्रेम में लड़की शोक करती है शोक में लड़की प्रेम करती है प्रेम में लड़की नाम रखती है नाम जिसका रखती है माया है वह माया, जिसकी इच्छा उसकी नींद में चलती
Moreयह व्यथा की बात कोई कहे या न कहे। सपने अपने झर जाने दे, झुलसाती लू को आने दो पर उस अक्षोभ्य तक केवल मलय समीर बहे। यह विदा का गीत कोई
Moreसुधियों में गुंजारित किसी मंत्र सरीखा तुम्हारा विह्वल स्वर मेरी आत्मा की साँकलें बजाता है निरंतर सुनो! मेरी देह की एकांतिक भूमि पर चाहो तो रख सकते हो हाथ तुम आत्मा के
Moreखेल दोनों का चले तीन का दाना न पड़े सीढ़ियाँ आती रहें साँप का ख़ाना न पड़े देख मे’मार परिंदे भी रहें घर भी बने नक़्शा ऐसा हो कोई पेड़ गिराना न
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