सुधियों में गुंजारित किसी मंत्र सरीखा
तुम्हारा विह्वल स्वर
मेरी आत्मा की साँकलें बजाता है निरंतर
सुनो!
मेरी देह की एकांतिक भूमि पर
चाहो तो रख सकते हो हाथ तुम
आत्मा के भीतर पग धरने का मनोरथ तो
किताबों के मानचित्र की मदद से ही संभव हो सकेगा।
मुझे किसी सुनहरे वादे से नहीं
फूलों से, स्वर्णाभूषणों से नहीं,
एक उदास प्रेमिल अध्याय के
विनम्र पाठ से जीत सकोगे तुम
प्यार मेरे!

सपना भट्ट
सपना भट्ट (जन्म - 25 अक्टूबर) मूलतः कश्मीर से हैं। आप अंग्रेजी और हिंदी विषय से परास्नातक हैं और वर्तमान में उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में शिक्षिका पद पर कार्यरत हैं। आपकी रचनाएँ देश के विभिन्न ब्लॉग्स और पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपसे cbhatt7@gmail.com पे बात की जा सकती है।