मैंने उसको
जब-जब देखा
लोहा देखा
लोहे जैसा
तपते देखा
गलते देखा
ढलते देखा
मैंने उसको
गोली जैसा
चलते देखा!

केदारनाथ अग्रवाल
केदारनाथ अग्रवाल (1911 - 2000) प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। 'युग की गंगा', 'नींद के बादल', 'लोक और आलोक', 'फूल नहीं रंग बोलते हैं', 'आग का आईना', 'गुलमेहँदी', 'पंख और पतवार', 'हे मेरी तुम' और 'अपूर्वा' इनके मुख्य काव्य-संग्रह हैं। इनके कई निबंध-संग्रह भी प्रकाशित हैं। आप साहित्य अकादमी तथा 'सोवियत लैंड नेहरू' पुरस्कार से सम्मानित भी हुए।