हम जिएँ न जिएँ दोस्त

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हम जिएँ जिएँ दोस्त
तुम जियो एक नौजवान की तरह,
खेत में झूम रहे धान की तरह,
मौत को मार रहे बान की तरह।

हम जिएँ जिएँ दोस्त
तुम जियो अजेय इंसान की तरह
मरण के इस रण में अमरण
आकर्ण तनी
कमान की तरह!

केदारनाथ अग्रवाल

केदारनाथ अग्रवाल (1911 - 2000) प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। 'युग की गंगा', 'नींद के बादल', 'लोक और आलोक', 'फूल नहीं रंग बोलते हैं', 'आग का आईना', 'गुलमेहँदी', 'पंख और पतवार', 'हे मेरी तुम' और 'अपूर्वा' इनके मुख्य काव्य-संग्रह हैं। इनके कई निबंध-संग्रह भी प्रकाशित हैं। आप साहित्य अकादमी तथा 'सोवियत लैंड नेहरू' पुरस्कार से सम्मानित भी हुए।

केदारनाथ अग्रवाल (1911 - 2000) प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। 'युग की गंगा', 'नींद के बादल', 'लोक और आलोक', 'फूल नहीं रंग बोलते हैं', 'आग का आईना', 'गुलमेहँदी', 'पंख और पतवार', 'हे मेरी तुम' और 'अपूर्वा' इनके मुख्य काव्य-संग्रह हैं। इनके कई निबंध-संग्रह भी प्रकाशित हैं। आप साहित्य अकादमी तथा 'सोवियत लैंड नेहरू' पुरस्कार से सम्मानित भी हुए।

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