प्रेम का आविष्कार करती औरतों
ने ही कहा होगा
फूल को फूल और
चांद को चांद
हवा में महसूस की होगी
बेली के फूल की महक
उन औरतों ने ही
पहाड़ को कहा होगा पहाड़
नदी को कभी सूखने नहीं दिया होगा
उनकी सांसों से ही
पिघलता होगा ग्लेशियर
उन्होंने ही बहिष्कार किया होगा
ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहों का
चुना होगा इस धरती को
वे जानती होंगी इसी ग्रह पर
पीले सरसों के फूल खिलते हैं।
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रोहित ठाकुर
रोहित ठाकुर पटना, बिहार से हैं। आप देश के माने हुए साहित्यकारों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय समय पर देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपसे rrtpatna1@gmail.com पे बात की जा सकती है।