ऐसा क्या कुछ हुआ कि तुमने आनन फानन में
इंद्रधनुष भर डाले सारे नभ के आँगन में

जीवन जल की झील लबालब नभ के आँगन में
झूम रहा है नंदन कानन नभ के आँगन में

उमड़ घुमड़ फिर आए बादल नभ के आँगन में
श्याम बने घन-श्याम बिचरते नभ के आँगन में

राधा की पाज़ेब चमकती नभ के आँगन में
गूँज उठी बादल की मादल नभ के आँगन में

मन का हंस हुलसता उड़ता नभ के आँगन में
ले फुहार की झीनी चादर नभ के आँगन में

फिर बूँदों का नाच छमाछम जग के आँगन में
खेतों में बाग़ों में बन आँगन आँगन में

फूटे अंकुर बिकसा जीवन जग के आँगन में
छूटे बीर बहूटी के दल कानन कानन में

टूटे सारे बंधन टूटे जग के आँगन में
जड़ जंगम सब नाच रहे जग के आँगन में

धानी चूनर के हलकोरे सबके आँगन में
फिर झूलों की पैंग बढ़ी तो नभ के आँगन में

ऐसा क्या कुछ हुआ कि तुमने आनन फानन में
सावन ही सावन रच डाला अबकी सावन में

दिनेश कुमार शुक्ल

दिनेश कुमार शुक्ल हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। उन्हें हिंदी कविता में अपने विशिष्ट योगदान के कारण केदार सम्मान से सम्मानित किया गया है।

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