इक्कीसवीं शताब्दी में कविता

इस विषय पर सोचते हुए मैं थोड़ा-सा ‘इक्कीसवीं शताब्दी’ की तरफ गई, थोड़ा-सा उस ‘कविता’ की तरफ जो अभी लिखी जानी है, लेकिन ज्यादा समय मैं ‘में’ में ही अटकी रही। एक

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असहमति और स्वतंत्रता

बाइस अगस्त, 1934 की बात है. तब मैं एक साल का भी नहीं हुआ था. मेरे चाचा ज्योतिर्मय सेनगुप्ता ने बर्दवान जेल से मेरे पिता को एक चिट्ठी भेजी थी. उन्होंने मेरा

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