दिखने में जो अक्सर आसान से दिखते हैं
एक कवि को करने होते हैं ऐसे कई पेचीदा काम
मसलन बहुत सारे कठिन कामों में एक कठिन काम है
नदियों की कलकल करती आवाज़ों का अनुवाद करना
पेड़ों के हहराने और हज़ारों प्रजातियों की चिड़ियों के
चहचहाने का अनुवाद करना
पहाड़ों और पठारों दोनों की ही भाषा दुर्गम होती है
आँसुओं के लिए अपनी भाषा में कभी नहीं मिल पाते
उतने ही पारदर्शी शब्द
बेज़ुबान लोगों के दुख और ग़ुस्से के लिए ढूँढ़ने पड़ते हैं
कवि को सही-सही और उतने ही ताप से भरे शब्द
और चुप के लिए ऐसे शब्द को ढूँढ़ निकालना
कि शब्द में लिखे जाने के बाद भी वह चुप ही लगे
इसके लिए बहुत महीन हुनर की ज़रूरत होती है
और यह सिर्फ़ एक कवि के ही बस का काम है!
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राजेश जोशी
राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है।