इक पगली लड़की के बिन

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इक पगली लड़की के बिन

अमावस की काली रातों में, दिल का दरवाजा खुलता है
जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसू के संग घुलता है
जब पिछवाड़े के कमरें में, हम निपट अकेले होते हैं
जब घड़ियाँ टिक टिक चलतीं हैं, सब सोते हैं हम रोते हैं
जब बार बार दोहराने से, सारी यादें चुक जाती हैं
जब ऊँच नीच समझाने में, माथे की नस दुख जाती है
तब इक पगली लड़की के बिन, जीना गद्दारी लगता है
पर उस पगली लड़की के बिन, मरना भी भारी लगता है

जब पोथे खाली होते हैं, जब सिर्फ सवाली होते हैं
जब ग़ज़लें रास नहीं आतीं, अफ़साने गाली होते हैं
जब बाकी फीकी धूप समेटे, दिन ज़ल्दी ढल जाता है
जब सूरज का लश्कर छत से, गलियों में देर से आता है
जब ज़ल्दी घर जाने की इच्छा, मन ही मन घुट जाती है
जब दफ़्तर से घर लाने वाली, पहली बस छुट जाती है
जब बेमन से खाना खाने पर, माँ गुस्सा हो जाती है
जब लाख मना करने पर भी, कम्मो पढ़ने आ जाती है
जब अपना मनचाहा हर काम कोई लाचारी लगता है
तब इक पगली लड़की के बिन, जीना गद्दारी लगता है
पर उस पगली लड़की के बिन, मरना भी भारी लगता है

जब कमरें में सन्नाटे की आवाज़ सुनाई देती है
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती हैं
जब बड़की भाभी कहती हैं कुछ सेहत का भी ध्यान करो
क्या लिखते हो लल्ला दिन भर कुछ सपनों का सम्मान करो
जब बाबा वाली बैठक में, कुछ रिश्ते वाले आते हैं
जब बाबा हमें बुलाते हैं, हम जाने में घबराते हैं
जब साड़ी पहने लड़की का इक फोटो लाया जाता है
जब भाभी हमें मनाती हैं, फोटो दिखलाया जाता है
जब सारे घर का समझाना, हमको फनकारी लगता है
तब इक पगली लड़की के बिन, जीना गद्दारी लगता है
पर उस पगली लड़की के बिन, मरना भी भारी लगता है

अम्मा कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं
उसके दिल में भैया तेरे जैसे ज़ज्बात नहीं
वो पगली लड़की मेरी ख़ातिर नौ दिन भूखी रहती है
चुप चुप सारे व्रत रखती है पर मुझसे कभी न कहती है
जो पगली लड़की कहती है मैं प्यार तुम्हीं से करती हूँ
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा बाबा से डरती हूँ
उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा
ये कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा
बस उस पगली लड़की के संग हँसना फुलवारी लगता है
तब इक पगली लड़की के बिन, जीना गद्दारी लगता है
पर उस पगली लड़की के बिन, मरना भी भारी लगता है

कुमार विश्वास

कुमार विश्वास (जन्म: १० फरवरी १९७०) एक भारतीय हिन्दी कवि, वक्ता और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। वे आम आदमी पार्टी के नेता रह चुके हैं। वे युवाओं में अत्यन्त प्रिय कवि हैं। हिंदी को भारत से विश्व तक पुनः स्थापित करने वाले कुमार विश्वास के कविता के मंचन, वाचन, गायन के साथ साथ वकतृत्व प्रतिभा के भी धनी हैं। मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सब विधाओं में निपुण कुमार विश्वास हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

कुमार विश्वास (जन्म: १० फरवरी १९७०) एक भारतीय हिन्दी कवि, वक्ता और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। वे आम आदमी पार्टी के नेता रह चुके हैं। वे युवाओं में अत्यन्त प्रिय कवि हैं। हिंदी को भारत से विश्व तक पुनः स्थापित करने वाले कुमार विश्वास के कविता के मंचन, वाचन, गायन के साथ साथ वकतृत्व प्रतिभा के भी धनी हैं। मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सब विधाओं में निपुण कुमार विश्वास हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

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