यह लड़की जब उदास होगी
तो क्या सोचेगी?
आज नहीं
कल नहीं
बरसों बाद
यह लड़की जब उदास होगी
तो क्या सोचेगी भला?
शायद वह सोचेगी उस प्रेम के बारे में
जो भोगा नहीं उसने
शायद वह सोचेगी उस प्रेम के बारे में
जो रीत गया उसकी देह की स्मृति से
लेकिन मुमकिन है वह प्रेम के बारे में
सोचे ही नहीं
और फिर भी उदास हो जाए
शायद वह सोचेगी उन जगहों के बारे में
जहाँ कभी नहीं जा पाई वह
या उन खँडहरों को
जहाँ से निकली थी अब वह बरसों बाद
खँडहर बनकर
लेकिन हो सकता है
अपनी मिट्ठी का सफ़र वह सोचे ही नहीं
और फिर भी उदास हो जाए
आज नहीं
कल नहीं
बरसों बाद
यह लड़की जब उदास होगी
तो क्या सोचेगी भला?
शायद वह सोचेगी ईश्वर के बारे में
जो अक्सर गुम जाता था उससे
ख़ुशी के दिनों में
बचपन के सहेजकर रखे
चमकीले पत्थर की तरह
और फिर चमक उठता था अचानक
उसकी आत्मा की घुप्प अँधेरी रात में
लेकिन
गहरे उचाटपन के बावजूद मुमकिन है
उसे ईश्वर के होने-न-होने में
दिलचस्पी ही न हो
प्रेम नहीं होगा जब
यात्रा नहीं होगी जब
ईश्वर नहीं बचेगा जब
यक़ीनन सोचेगी तब वह
उन सब अधूरे, अनछुए कामों का
जो नहीं कर पाई वह
कभी प्रेम के उलझाव में
कभी ईश्वर की माया के फेर में।

गगन गिल
गगन गिल (जन्म- 1959, नई दिल्ली) आधुनिक हिन्दी कवियित्रियों में से एक हैं। गगन गिल को 'भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार', 'संस्कृति पुरस्कार' और 'केदार सम्मान' से सम्मानित किया जा चुका है।