जो जितने ज़्यादा लोगों का
जितना ज़्यादा नुक़सान कर सके
वो उतना ही बड़ा है।
छोटा वो है
जो किसी का नुक़सान न कर सके।
उस हर बात में राजनीति है
जहाँ दो में से एक को चुनना पड़े।
कम से कम कपड़े अश्लीलता नहीं
अश्लील है ज़रूरत से ज्यादा कपड़े।
जब लगे कि सरकार कुछ नहीं कर रही
तब समझो ख़तरा दरवाज़े पर है।
सितारा बनने से अच्छा है
गन्दी गली का लैम्प पोस्ट बनना – कवि की इच्छा है।

अरुण कमल
अरुण कमल (जन्म-15 फरवरी, 1954) आधुनिक हिन्दी साहित्य में समकालीन दौर के प्रगतिशील विचारधारा संपन्न, अकाव्यात्मक शैली के ख्यात कवि हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि ने कविता के अतिरिक्त आलोचना भी लिखी है, अनुवाद कार्य भी किये हैं तथा लंबे समय तक वाम विचारधारा को फ़ैलाने वाली साहित्यिक पत्रिका आलोचना का संपादन भी किया है।