खेल दोनों का चले तीन का दाना न पड़े

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khel donoñ kā chale tiin kā daana na paḌe

खेल दोनों का चले तीन का दाना पड़े
सीढ़ियाँ आती रहें साँप का ख़ाना पड़े

देख मे’मार परिंदे भी रहें घर भी बने
नक़्शा ऐसा हो कोई पेड़ गिराना पड़े

मेरे होंटों पे किसी लम्स की ख़्वाहिश है शदीद
ऐसा कुछ कर मुझे सिगरेट को जलाना पड़े

इस तअल्लुक़ से निकलने का कोई रास्ता दे
इस पहाड़ी पे भी बारूद लगाना पड़े

नम की तर्सील से आँखों की हरारत कम हो
सर्द-ख़ानों में कोई ख़्वाब पुराना पड़े

रब्त की ख़ैर है बस तेरी अना बच जाए
इस तरह जा कि तुझे लौट के आना पड़े

हिज्र ऐसा हो कि चेहरे पे नज़र जाए
ज़ख़्म ऐसा हो कि दिख जाए दिखाना पड़े

umair najmi
उमैर नजमी
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उमैर नजमी पाकिस्तान से हैं और उर्दू शायरी में बेहद मक़बूल नाम हैं.

उमैर नजमी पाकिस्तान से हैं और उर्दू शायरी में बेहद मक़बूल नाम हैं.

फूल झरे

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पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

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तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो