कोई पास आया सवेरे सवेरे
मुझे आज़माया सवेरे सवेरे
मेरी दास्ताँ को ज़रा सा बदल कर
मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे
जो कहता था कल शब सँभलना सँभलना
वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे
कटी रात सारी मिरी मय-कदे में
ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे

सईद राही
सईद राही उर्दू के जाने माने शायर हैं। आपकी ग़ज़लें ही आपकी पहचान रही हैं।