कोई कहे या न कहे

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koi kahe ya na kahe by agyeya

यह व्यथा की बात कोई कहे या कहे।
सपने अपने झर जाने दे, झुलसाती लू को आने दो
पर उस अक्षोभ्य तक केवल मलय समीर बहे।

यह विदा का गीत कोई सुने या सुने।
मेरा पथ अगर अँधेरा हो, अनुभव का कटु फल मेरा हो
वह अक्षत केवल स्मृति के फूल चुने!

अज्ञेय
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन ‘अज्ञेय’ (07/03/1911 – 04/04/1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित निबंधकार, संपादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है. आप ‘प्रयोगवाद’ एवं ‘नयी कविता’ को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं. आपको 1964 में साहित्य अकादमी और 1978 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन ‘अज्ञेय’ (07/03/1911 – 04/04/1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित निबंधकार, संपादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है. आप ‘प्रयोगवाद’ एवं ‘नयी कविता’ को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं. आपको 1964 में साहित्य अकादमी और 1978 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

फूल झरे

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पाप

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