न रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं मानता
मेरे दुख की कोई दवा न करो मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर डूब जाओ, ख़ुदा ख़ुदा न करो ये सिखाया है दोस्ती
Moreनुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने क्या बने बात जहाँ बात बनाए न बने मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि
Moreयूँ न रह रह कर हमें तरसाइए आइए आ जाइए आ जाइए फिर वही दानिस्ता ठोकर खाइए फिर मिरी आग़ोश में गिर जाइए मेरी दुनिया मुंतज़िर है आप की अपनी दुनिया छोड़
Moreबेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है! चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ बाँस की खर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी सोई आधी
Moreमुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो मिरे मिज़ाज पर गए हो ख़ुश रहो मिरे लिए न रुक सके तो क्या हुआ जहाँ कहीं ठहर गए हो ख़ुश रहो ख़ुशी हुई है
Moreसो रहेंगे कि जागते रहेंगे हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे तू कहीं और ढूँढता रहेगा हम कहीं और ही खिले रहेंगे राहगीरों ने राह बदलनी है पेड़ अपनी जगह खड़े रहे हैं
Moreक़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्ता तो छट जाता है सब गर्द-ओ-ग़ुबार आहिस्ता आहिस्ता भरी आँखों से हो के दिल में जाना सहल थोड़ी है चढ़े दरियाओं को करते
Moreफूलों ने दिए जख़्म तो काँटों से गिला क्या क्या करना था अपनों से सुलूक और किया क्या जब हाथ में शीशा था न सागर था न मीना गर दिल नहीं टूटा
Moreन हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है सुकूँ ही सुकूँ है ख़ुशी ही ख़ुशी है तिरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है
Moreहर ईंट सोचती है कि दीवार उस से है हर सर यही समझता है दस्तार उस से है है आग पेट की तभी छम-छम है रक़्स में पायल समझती है कि ये
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