न रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं मानता
मैं खुजूरों-भरे सहराओं में देखा गया हूँ तख़्त के बा’द तिरे पाँव में देखा गया हूँ दफ़्न होती हुई झीलों में ठिकाने हैं मिरे ख़ुश्क होते हुए दरियाओं में देखा गया हूँ
Moreहम से भागा न करो दूर ग़ज़ालों की तरह हम ने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह ख़ुद-ब-ख़ुद नींद सी आँखों में घुली जाती है महकी महकी है शब-ए-ग़म तिरे बालों
Moreहम जी रहे हैं जान ! तुम्हारे बग़ैर भी हर दिन गुज़र रहा है गुज़ारे बग़ैर भी सबके लिए किनारे पे होता नहीं कोई कुछ लोग डूबते हैं पुकारे बग़ैर भी जीते
Moreमंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते दो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते इक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना इक तुम हो कि अपनों
Moreउस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं मुतमइन ऐसा है वो जैसे हुआ कुछ भी नहीं अब तो हाथों से लकीरें भी मिटी जाती हैं उस को खो कर तो मिरे पास
Moreकोई पास आया सवेरे सवेरे मुझे आज़माया सवेरे सवेरे मेरी दास्ताँ को ज़रा सा बदल कर मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे जो कहता था कल शब सँभलना सँभलना वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे
Moreहर सदफ़ में गुहर हो जरूरी है क्या हर फ़ुगाँ में असर हो जरूरी है क्या वो जैसा मिला हमने क़बूल कर लिया हर बश़र में मलक हो जरूरी है क्या आस्तीनों में
Moreरात ढलने के बाद क्या होगा दिन निकलने के बाद क्या होगा सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ बच निकलने के बाद क्या होगा ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे आँख
Moreफिर छिड़ी रात बात फूलों की रात है या बारात फूलों की फूल के हार, फूल के गजरे शाम फूलों की रात फूलों की आपका साथ, साथ फूलों का आपकी बात, बात
Moreये जो ज़िंदगी है ये कौन है ये जो बेबसी है ये कौन है ये तुम्हारे लम्स को क्या हुआ ये जो बे-हिसी है ये कौन है वो जो मेरे जैसा था
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