मैं खुजूरों-भरे सहराओं में देखा गया हूँ

मैं खुजूरों-भरे सहराओं में देखा गया हूँ तख़्त के बा’द तिरे पाँव में देखा गया हूँ दफ़्न होती हुई झीलों में ठिकाने हैं मिरे ख़ुश्क होते हुए दरियाओं में देखा गया हूँ

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कोई पास आया सवेरे सवेरे

कोई पास आया सवेरे सवेरे मुझे आज़माया सवेरे सवेरे मेरी दास्ताँ को ज़रा सा बदल कर मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे जो कहता था कल शब सँभलना सँभलना वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे

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रात ढलने के बाद क्या होगा

रात ढलने के बाद क्या होगा दिन निकलने के बाद क्या होगा सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ बच निकलने के बाद क्या होगा ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे आँख

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फिर छिड़ी रात बात फूलों की

फिर छिड़ी रात बात फूलों की रात है या बारात फूलों की फूल के हार, फूल के गजरे शाम फूलों की रात फूलों की आपका साथ, साथ फूलों का आपकी बात, बात

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