हम जी रहे हैं जान ! तुम्हारे बग़ैर भी
हर दिन गुज़र रहा है गुज़ारे बग़ैर भी
सबके लिए किनारे पे होता नहीं कोई
कुछ लोग डूबते हैं पुकारे बग़ैर भी
जीते बग़ैर जीतने वालों के दौर में
कुछ लोग हार जाते हैं हारे बग़ैर भी

राजेश रेड्डी
राजेश रेड्डी (जन्म-1952) मौजूदा दौर के ख्यातिलब्ध शायर हैं. आपने राजस्थान पत्रिका का संपादन भी किया है. आपको डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.