आहट सी कोई आए तो लगता है

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आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो

जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो

संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो

ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर
नदी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो

जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर
चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो

[पुर-कैफ़ = मदहोश, नशीला]

जाँ निसार अख्तर

जाँ निसार अख्तर (1914 - 1976) भारत से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। 1976 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।

जाँ निसार अख्तर (1914 - 1976) भारत से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। 1976 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।

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