रात ढलने के बाद क्या होगा
दिन निकलने के बाद क्या होगा
सोचता हूँ कि उस से बच निकलूँ
बच निकलने के बाद क्या होगा
ख़्वाब टूटा तो गिर पड़े तारे
आँख मलने के बाद क्या होगा
रक़्स में होगी एक परछाई
दीप जलने के बाद क्या होगा
दश्त छोड़ा तो क्या मिला ‘सरवत’
घर बदलने के बाद क्या होगा
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सरवत हुसैन
सरवत हुसैन (1949-1994) उर्दू शायरी के बड़े नामों में से एक थे। आपका पहला कविता-संग्रह ‘आधे सय्यारे पर’ 1987 में लाहौर से प्रकाशित हुआ। दूसरा संग्रह ‘ख़ाकदान’ देहांत के साल भर बाद और तीसरा ‘एक कटोरा पानी’ 2012 में सामने आया। 2015 में उनका कविता-समग्र कराची से प्रकाशित हुआ।