यूँ न रह रह कर हमें तरसाइए
आइए आ जाइए आ जाइए
फिर वही दानिस्ता ठोकर खाइए
फिर मिरी आग़ोश में गिर जाइए
मेरी दुनिया मुंतज़िर है आप की
अपनी दुनिया छोड़ कर आ जाइए
ये हवा साग़र ये हल्की चाँदनी
जी मैं आता है यहीं मर जाइए

साग़र निज़ामी
साग़र निज़ामी (1905 - 1984 ; जन्म - अलीगढ़, उत्तर प्रदेश) जिगर’, ‘फ़िराक़’ और‘जोश’ के समसामयिक लोकप्रिय शाइ’रों में शामिल हैं। आपने राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने वाली नज़्में लिखीं। आपने फ़िल्मों के लिए कहानियाँ और गीत भी लिखे।