चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है। एक जल में एक थल में एक नीलाकाश में एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती एक मेरे बन रहे विश्वास में क्या कहूँ, कैसे कहूँ कितनी जरा सी बात है चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है। एक जो मैं आज हूँ एक जो मैं हो न पाया एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया क्यों सहूँ, कब तक सहूँ कितना कठिन आघात है चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (15/09/1927 – 24/09/1983) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, कवि, स्तंभकार और नाटककार के रूप में मान्य रहे. वह पहली बार प्रकाशित ‘तार सप्तक’ के सात कवियों में से एक थे जो प्रयोगवाद युग की शुरुआत करता है और कालांतर में ‘नयी कविता आन्दोलन’ बनता है.