तुम देख लेते हो उसे
वहाँ से निकल कर आते हुए
अपने भीतर जहाँ जाकर
सिसकती है अक्सर
तुम पूछते हो :
क्या हुआ?
वह कहती है :
कुछ नहीं
तुम फिर पूछते हो :
क्या तुम रोई हो?
वह विस्मय से देखती है तुम्हें
और कहती है :
मैं?
नहीं तो
तुम कहते हो :
तुम कुछ छिपा रही हो
वह कहती है :
क्या छिपाऊँगी तुमसे
ऐसे क्यों पूछ रहे हो
क्या हो गया है तुम्हें
और तुम्हारे लिए
खाना लगाती है
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प्रभात
प्रभात हिंदी कविता के प्रमुख नामों में से एक हैं। आप युवा कविता समय सम्मान, 2012 और सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार, 2010 से सम्मानित हैं। आपकी ‘अपनों में नहीं रह पाने का गीत’ (कविता संग्रह) साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित है।