1. कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ। घंटा
वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज मिला दी थी कि खाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस
Moreवो आदमी उसका पीछा कर रहे थे। इतनी बुलंदी से वो दोनों नीचे सपाट खेतों में चलते हुए दो छोटे से खिलौनों की तरह नज़र आ रहे थे। दोनों के कंधों पर
Moreकमरे की नीम-तारीक फ़िज़ा में ऐसा महसूस हुआ जैसे एक मौहूम साया आहिस्ता-आहिस्ता दबे-पाँव छम्मन मियाँ की मसहरी की तरफ़ बढ़ रहा है। साये का रुख़ छम्मन मियाँ की मसहरी की तरफ़
Moreपत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था। पर बना नहीं। वह धरती पर फैल गया,
Moreदेह प्रेम के काम आती है वह यातना देने और सहने के काम आती है देह है तो राज्य और धर्म को दंड देने में सुविधा होती है पीटने में जला देने
Moreमथुरा के एक तरफ़ जमुना है और तीन तरफ़ मंदिर, इस हुदूद–ए–अर्बआ में नाई, हलवाई, पांडे, पुजारी और होटल वाले बस्ते हैं. जमुना अपना रुख़ बदलती रहती है. नए–नए आलीशान मंदिर भी तामीर
Moreजैसी कहावत है, यह पिछली नशे की रात के बाद का सवेरा था. जब मैं पी के औंधा हो रहा था. एक ऐसा अनुभव जो हमेशा याद रहता है और जिसके कारण
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