1. कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ। घंटा
लंबे कद और डबलंग चेहरे वाले चाचा रामशरण के लाख विरोध के बावजूद आशू का विवाह वहीं हुआ। उन्होंने तो बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था कि ‘लड़की बड़ी बेहया है।’
Moreमैं अपने दोस्त के पास बैठा था। उस वक़्त मेरे दिमाग़ में सुक़्रात का एक ख़याल चक्कर लगा रहा था— क़ुदरत ने हमें दो कान दिये हैं और दो आंखें मगर ज़बान
Moreआज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झाँकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऐसा लगा, जैसे वसन्त में वनश्री देखता घूम रहा
More