देह प्रेम के काम आती है
वह यातना देने और सहने के काम आती है
देह है तो राज्य और धर्म को दंड देने में सुविधा होती है
पीटने में जला देने में
आत्मा को तबाह करने के लिए कई बार
देह को अधीन बनाया जाता है
बाज़ार भी करता है यह काम
वह देह को इतना सजा देता है कि
उसे सामान बना देता है
बहुत दुःख की तुलना में
बहुत सुख से ख़त्म होती है आत्मा
संबंधित पोस्ट:

देवी प्रसाद मिश्र
देवी प्रसाद मिश्र (जन्म - 1958) हिंदी के अग्रणी कवियों में से एक हैं. आपको 1987 के भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. प्रार्थना के शिल्प में नहीं आपकी प्रमुख कृति है.