वो आएगी हर ओर से
और तुम रोक न सकोगे
उसका आना तय था
इतिहास में कुलबुलाहट थी
तुमने हर ग्रंथ में ख़ुद तय किया था
कि वो उतरेगी
सड़कों पर
तुम्हारे ताले ही
उकसाते थे
कि उन्हें तोड़ दिया जाए
तुम्हारी समय की पाबंदी ने
तय किया था
कि उसको उतरना होगा
सड़क पर
आधी रात को
अब रोक लो
जितना हो सके
ताले दिखते थे
तो टूट रहे
मैं चाहती हूँ वो ताले टूटें
जो दिखते भी नहीं।
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ऋचा
ऋचा (जन्म - १९८७) मूलतः पिटरो, बिहार से हैं और इन दिनों पटना वीमेंस कॉलेज में अंग्रेज़ी की सहायक प्राध्यापिका के रूप में सेवरात हैं। आपसे drricha.eng@gmail.com पे बात की जा सकती है।