उस समय भी

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जब हमारे साथी-संगी हमसे छूट जाएँ
जब हमारे हौसलों को दर्द लूट जाएँ
जब हमारे आँसुओं के मेघ टूट जाएँ
उस समय भी रुकना नहीं चलना चाहिए
टूटे पंख से नदी की धार ने कहा!

जब दुनिया रात के लिफाफे में बंद हो
जब तम में भटक रही फूलों की गंध हो
जब भूखे आदमियों औ' कुत्तों में द्वंद्व हो
उस समय भी बुझना नहीं जलना चाहिए
बुझते हुए दीप से तूफ़ान ने कहा!
रमानाथ अवस्थी

रमानाथ अवस्थी (1926 – 2002) हिंदी के लोकप्रिय गीतकार थे. आपने आकाशवाणी में प्रोडयुसर के रूप में वर्षों काम किया. ‘सुमन सौरभ’, ‘आग और पराग’, ‘राख और शहनाई’, ‘बंद न करना द्वार’ आपकी मुख्य काव्य कृतियाँ हैं.

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