तुम लौटना

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तुम लौटना
यह साल वापसी का है
बिछड़े अय्यार प्रेम के पुनर्वास का
मुझे उम्मीद है, तुम आओगे और सब ठीक हो जाएगा
तुम्हारे छूने भर से दारुणता समाप्त हो जाएगी
जर्जर क्षुब्ध देह की सुप्तता जाग उठेगी

तुम लौटना
घुमड़ते मेघ मालाओं के साथ
मुट्ठियों में खुशियाँ छिपाकर
जेबों में ठसाठस भर लाना अतीत के आलिंगन
हाथ थामकर ले चलना ठंडे पहाड़ों पर
जहाँ का हिमपात वेदनाओं के स्याह पड़े कर्कश चिह्नों को प्रेमानुराग से तृप्त कर देगा

तुम लौटना
उन एकांतिक क्षणों को उत्तर देने जिन्होंने मुझ पर क्रूर तंज कसे
तुम्हारें पाँव पर खड़े होकर अपने देह के भार से मुक्त
हम प्रेमिल सप्तपदी मंत्रों को पुनश्चः उच्चरित करेंगे
विक्षत हृदय के प्रेम की कठोरतम अंतहीन प्रतीक्षा में
मैं उन पुराने दिनों की याद में आकाश ताकती हूँ।

जुवि शर्मा
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जुवि शर्मा (जन्म : 21 मई, 1980) मूलतः रामगढ़, राजस्थान से हैं और इन दिनों मुंबई में रहती हैं। आपकी रचनाएँ समय-समय पे देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपसे Sarikapareek811@gmail.com पे बात की जा सकती है।

जुवि शर्मा (जन्म : 21 मई, 1980) मूलतः रामगढ़, राजस्थान से हैं और इन दिनों मुंबई में रहती हैं। आपकी रचनाएँ समय-समय पे देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपसे Sarikapareek811@gmail.com पे बात की जा सकती है।

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