महामारी के दिनों में

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महामारी के दिनों में

जिल्द की सबसे छोटी कहानी
कभी यह शिकायत नहीं करती
कि लम्बी कहानी ने
उसका हक़ मार लिया

एक छोटी ज़िन्दगी का सत्व
सौ साल जीने वाला कोई चुरा नहीं सकता।

आज जब आने वाले दिन
कागज़ पर पानी लगकर
फैली स्याही जैसे हो गए हैं
कोई इबारत पढ़ी नहीं जा रही।

अगर ये जीवन के अंतिम दिन हैं तो
तुम्हें प्यार करते हुए मरना चाहती हूँ

लवली गोस्वामी

लवली गोस्वामी (जन्म - 5 जनवरी, 1987) मौजूदा दौर की जानी-मानी कवियित्रियों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय-समय पे देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन दिनों आपका कविता संग्रह उदासी मेरी मातृभाषा है अपने पाठकों के बीच है। आपसे l.k.goswami@gmail पे बात की जा सकती है।

लवली गोस्वामी (जन्म - 5 जनवरी, 1987) मौजूदा दौर की जानी-मानी कवियित्रियों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय-समय पे देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन दिनों आपका कविता संग्रह उदासी मेरी मातृभाषा है अपने पाठकों के बीच है। आपसे l.k.goswami@gmail पे बात की जा सकती है।

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