जब से क़रीब हो के चले ज़िंदगी से हम
ख़ुद अपने आइने को लगे अजनबी से हम
कुछ दूर चल के रास्ते सब एक से लगे
मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम
अच्छे बुरे के फ़र्क़ ने बस्ती उजाड़ दी
मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम
शाइस्ता महफ़िलों की फ़ज़ाओं में ज़हर था
ज़िंदा बचे हैं ज़ेहन की आवारगी से हम
अच्छी भली थी दुनिया गुज़ारे के वास्ते
उलझे हुए हैं अपनी ही ख़ुद-आगही से हम
जंगल में दूर तक कोई दुश्मन न कोई दोस्त
मानूस हो चले हैं मगर बम्बई से हम

निदा फ़ाज़ली
निदा फ़ाज़ली (१२ अक्टूबर १९३८ - ८ फरवरी २०१६ ), एक प्रमुख भारतीय हिंदी और उर्दू कवि, गीतकार और संवाद लेखक थे। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।