देखो उस का हिज्र निभाना पड़ता है

1 min read

देखो उस का हिज्र निभाना पड़ता है
वो जैसा चाहे हो जाना पड़ता है

सुनते कब हैं लोग हमें बस देखते हैं
चेहरे को आवाज़ बनाना पड़ता है

इन अंधे और बहरे लोगों को साईं
होने का एहसास दिलाना पड़ता है

अभी हमारे अंदर आग नहीं भड़की
अभी हमें सिगरेट सुलगाना पड़ता है

कुछ आँखें ही ऐसी होती हैं जिन को
कोई न कोई ख़्वाब दिखाना पड़ता है

इस दुनिया को छोड़ के जिस में तुम भी हो
जाता कौन है लेकिन जाना पड़ता है

कुछ फूलों की ख़ातिर भी कुछ फूलों का
सब से अच्छा रंग चुराना पड़ता है

नदीम भाभा
+ posts

नदीम भाभा लाहौर, पाकिस्तान से हैं और मौज़ूदा वक़्त के जाने-माने हुए शायरों में से एक हैं।

नदीम भाभा लाहौर, पाकिस्तान से हैं और मौज़ूदा वक़्त के जाने-माने हुए शायरों में से एक हैं।

नवीनतम

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो

कोरोना काल में

समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन

भूख से आलोचना

एक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से