देखो उस का हिज्र निभाना पड़ता है
वो जैसा चाहे हो जाना पड़ता है
सुनते कब हैं लोग हमें बस देखते हैं
चेहरे को आवाज़ बनाना पड़ता है
इन अंधे और बहरे लोगों को साईं
होने का एहसास दिलाना पड़ता है
अभी हमारे अंदर आग नहीं भड़की
अभी हमें सिगरेट सुलगाना पड़ता है
कुछ आँखें ही ऐसी होती हैं जिन को
कोई न कोई ख़्वाब दिखाना पड़ता है
इस दुनिया को छोड़ के जिस में तुम भी हो
जाता कौन है लेकिन जाना पड़ता है
कुछ फूलों की ख़ातिर भी कुछ फूलों का
सब से अच्छा रंग चुराना पड़ता है

नदीम भाभा
नदीम भाभा लाहौर, पाकिस्तान से हैं और मौज़ूदा वक़्त के जाने-माने हुए शायरों में से एक हैं।