ऐसा क्या कुछ हुआ कि तुमने आनन फानन में इंद्रधनुष भर डाले सारे नभ के आँगन में जीवन जल की झील लबालब नभ के आँगन में झूम रहा है नंदन कानन नभ
Moreएक बार और जाल फेंक रे मछेरे जाने किस मछली में बंधन की चाह हो! सपनों की ओस गूँथती कुश की नोक है हर दर्पण में उभरा एक दिवालोक है रेत के
Moreप्रेम में लड़की शोक करती है शोक में लड़की प्रेम करती है प्रेम में लड़की नाम रखती है नाम जिसका रखती है माया है वह माया, जिसकी इच्छा उसकी नींद में चलती
Moreयह व्यथा की बात कोई कहे या न कहे। सपने अपने झर जाने दे, झुलसाती लू को आने दो पर उस अक्षोभ्य तक केवल मलय समीर बहे। यह विदा का गीत कोई
Moreसुधियों में गुंजारित किसी मंत्र सरीखा तुम्हारा विह्वल स्वर मेरी आत्मा की साँकलें बजाता है निरंतर सुनो! मेरी देह की एकांतिक भूमि पर चाहो तो रख सकते हो हाथ तुम आत्मा के
Moreखेल दोनों का चले तीन का दाना न पड़े सीढ़ियाँ आती रहें साँप का ख़ाना न पड़े देख मे’मार परिंदे भी रहें घर भी बने नक़्शा ऐसा हो कोई पेड़ गिराना न
Moreगरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी
Moreमैं तुम लोगों से इतना दूर हूँ तुम्हारी प्रेरणाओं से मेरी प्रेरणा इतनी भिन्न है कि जो तुम्हारे लिए विष है, मेरे लिए अन्न है। मेरी असंग स्थिति में चलता-फिरता साथ है,
Moreजो नहीं हुआ दुःख उसका नहीं जो हुआ उसका दुःख है उसका दुःख घेरे है जो हो रहा है उसके बाहर घेरे है बहुत बड़ी दुनिया में एक छोटा-सा कंकड़ हिलकर रह जाता
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