एक पुराने दुःख ने पुछा क्या तुम अभी वहीं रहते हो? उत्तर दिया, चले मत आना मैंने वो घर बदल दिया है जग ने मेरे सुख-पन्छी के पाँखों में पत्थर बांधे हैं
Moreजो प्यार में होते हैं चाँद उनकी शाम में बिखरे पत्तों से निकलता है और उठकर खेतों में चला जाता है जो प्यार में होते हैं पूरी-पूरी रात गेहूँ की बालियाँ बीनते
Moreचिड़िया की बारात नहीं आती चिड़िया पराई नहीं हो जाती चिड़िया का दहेज नहीं सजता चिड़िया को शर्म नहीं आती तो भी चिड़िया का ब्याह हो जाता है चिड़िया के ब्याह में
Moreइस बस्ती के इक कूचे में इक ‘इंशा’ नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप
Moreयह अधनंगी शाम और यह भटका हुआ अकेलापन मैंने फिर घबराकर अपना शीशा तोड़ दिया। राजमार्ग—कोलाहल—पहिए काँटेदार रंग गहरे यंत्र-सभ्यता चूस-चूसकर फेंके गए अस्त चेहरे झाग उगलती खुली खिड़कियाँ सड़े गीत सँकरे
Moreलोग कहते हैं— उदास दिखना उदास होने से ज़्यादा ख़राब समझा जाता है। सो जाओ कि रात बहुत गहरी है और काली है। सो जाओ कि अब कोई उम्मीद नहीं जगाएगा तुम्हारे मन
Moreमैंने उसको जब-जब देखा लोहा देखा लोहे जैसा तपते देखा गलते देखा ढलते देखा मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा!
Moreदिखने में जो अक्सर आसान से दिखते हैं एक कवि को करने होते हैं ऐसे कई पेचीदा काम मसलन बहुत सारे कठिन कामों में एक कठिन काम है नदियों की कलकल करती
Moreक्या करे समुद्र क्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और कहाँ खो गईं क्या पता कितनी भाप बनाकर उड़ा दीं इसका भी कोई हिसाब उसके पास नहीं फिर भी
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