कोरोना काल में

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समझदार हैं बच्चे
जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग
हम सब पढ़कर
कितने बेवकूफ़ बन चुके?
यह समय और सत्ता दोनों ने बता दिया।

बच्चे
बेहतर है तुम स्याही का मतलब
काजल समझते रहे
हमने अपने ही अंगूठे से
अपने ऊपर ठप्पा लगाया है
तुम्हारे गुनहगार हैं हम सब।

मेरे बच्चे
माफ़ करना मुझे
तुम्हें संगीत के सा, रे, गा, मा से पहले
दहशत भरी आवाज़ सुननी पड़ी
माँ की लोरी से पहले
मौत की दहाड़ सुननी पड़ी।

मेरे दोस्त
यह तृतीय विश्व युद्ध चल रहा है
ध्यान रहे गोली, बम, बारूद से नहीं
प्रेम से जीतना है
गर हार गये ख़ुद  से
जीत ख़ुदा भी न पायेगा।

मेरे अनपढ़ दोस्त
ख़ुशनसीब हो तुम
जो नहीं पढ़ सकते
मोटी-मोटी किताबें
तुम गर्व करो ख़ुद पर
इंसानियत की भाषा पढ़ने पर।

जनता का
जनता के लिए
जनता द्वारा शासन
कोई विद्वान मुझे बताए – यह क्या है?
मुझे नागरिक शास्त्र का ज्ञान नहीं
लेकिन लोकतंत्र की परिभाषा शायद यही है
बोलिये – बोलिये
मेरा प्रश्न आप ही से है।

दिव्या श्री

दिव्या श्री मूलतः बेगूसराय से हैं और इन दिनों समर्थ और प्रतिभावान आवाज़ों में से एक हैं। आपसे divyasri.sri12@gmail.com पे बात की जा सकती है।

दिव्या श्री मूलतः बेगूसराय से हैं और इन दिनों समर्थ और प्रतिभावान आवाज़ों में से एक हैं। आपसे divyasri.sri12@gmail.com पे बात की जा सकती है।

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