सोख न लेना पानी

1 min read
सोख न लेना पानी | कुँवर बेचैन

सूरज !
सोख न लेना पानी !

तड़प तड़प कर मर जाएगी
मन की मीन सयानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

बहती नदिया सारा जीवन
साँसें जल की धारा
जिस पर तैर रहा नावों-सा
अंधियारा उजियारा
बूंद-बूंद में गूँज रही है
कोई प्रेम कहानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

यह दुनिया पनघट की हलचल
पनिहारिन का मेला
नाच रहा है मन पायल का
हर घुंघुरू अलबेला
लहरें बाँच रही हैं
मन की कोई बात पुरानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

कुँवर बेचैन

कुँवर बेचैन ( जन्म - ११९४२) हिन्दी के महनीय कवियों में से हैं. आपने गाज़ियाबाद के एम. एम. एच महाविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन किया व् रीडर भी रहे. आप हिंदी ग़ज़ल व् गीत के हस्ताक्षर हैं.

कुँवर बेचैन ( जन्म - ११९४२) हिन्दी के महनीय कवियों में से हैं. आपने गाज़ियाबाद के एम. एम. एच महाविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन किया व् रीडर भी रहे. आप हिंदी ग़ज़ल व् गीत के हस्ताक्षर हैं.

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो