सोख न लेना पानी

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सोख न लेना पानी | कुँवर बेचैन

सूरज !
सोख न लेना पानी !

तड़प तड़प कर मर जाएगी
मन की मीन सयानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

बहती नदिया सारा जीवन
साँसें जल की धारा
जिस पर तैर रहा नावों-सा
अंधियारा उजियारा
बूंद-बूंद में गूँज रही है
कोई प्रेम कहानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

यह दुनिया पनघट की हलचल
पनिहारिन का मेला
नाच रहा है मन पायल का
हर घुंघुरू अलबेला
लहरें बाँच रही हैं
मन की कोई बात पुरानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

कुँवर बेचैन
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कुँवर बेचैन ( जन्म - ११९४२) हिन्दी के महनीय कवियों में से हैं. आपने गाज़ियाबाद के एम. एम. एच महाविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन किया व् रीडर भी रहे. आप हिंदी ग़ज़ल व् गीत के हस्ताक्षर हैं.

कुँवर बेचैन ( जन्म - ११९४२) हिन्दी के महनीय कवियों में से हैं. आपने गाज़ियाबाद के एम. एम. एच महाविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन किया व् रीडर भी रहे. आप हिंदी ग़ज़ल व् गीत के हस्ताक्षर हैं.

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