एक तुम्हारा होना

1 min read
कविता : एक तुम्हारा होना

एक तुम्हारा होना
क्या से क्या कर देता है,
बेज़ुबान छत दीवारों को
घर कर देता है।

ख़ाली शब्दों में आता है
ऐसे अर्थ पिरोना
गीत बन गया-सा लगता है
घर का कोना-कोना

एक तुम्हारा होना
सपनों को स्वर देता है।

आरोहों-अवरोहों से
समझाने लगती हैं
तुमसे जुड़ कर चीज़ें भी
बतियाने लगती हैं

एक तुम्हारा होना
अपनापन भर देता है।

माहेश्वर तिवारी
+ posts

माहेश्वर तिवारी (जन्म – 22 जुलाई 1939) हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार हैं. आपकी रचनायें सभी प्रमुख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा कई समवेत संग्रहों में प्रकाशित हैं.

माहेश्वर तिवारी (जन्म – 22 जुलाई 1939) हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार हैं. आपकी रचनायें सभी प्रमुख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा कई समवेत संग्रहों में प्रकाशित हैं.

नवीनतम

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो

कोरोना काल में

समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन

भूख से आलोचना

एक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से