मैंने पहली बार महसूस किया है कि नंगापन अन्धा होने के खिलाफ़ एक सख्त कार्यवाही है उस औरत की बगल में लेटकर मुझे लगा कि नफ़रत और मोमबत्तियाँ जहाँ बेकार साबित हो
कविता की दो पंक्तियों के बीच मैं वह जगह हूँ जो सूनी-सूनी-सी दिखती है हमेशा यहीं कवि को अदृश्य परछाईं घूमती रहती है अक्सर मैं कवि के ब्रह्मांड की एक गुप्त आकाशगंगा
Moreकितने नामों को छूते हो जिह्वा की नोंक से इस तरह कि मुँह भर जाता हो छालों से कितने नामों को सहलाते हो उँगलियों की थाप से यूँ कि पोरों से छूटता
Moreसबसे शांत स्त्रियाँ अगले जन्म में बिल्लियाँ होंगी वे दबे पाँव आकर टुकुर-टुकुर देखेंगी तुम्हारा उधड़ा जीवन एक नर्म धमक के साथ कूद जाएँगी वे तुम्हारी नींद में ख़लल बनकर जब तुम
Moreशास्त्रीय प्रेमियों की तरह मनोयोगपूर्वक दबा नहीं सकता वह मेरा सर, गूँथ नहीं सकता मेरी चोटी, मटके में पानी भी भरवा नहीं सकता, हाँ, मल नहीं सकता भेंगरिया के पत्ते मेरी बिवाइयों
Moreहम जिएँ न जिएँ दोस्त तुम जियो एक नौजवान की तरह, खेत में झूम रहे धान की तरह, मौत को मार रहे बान की तरह। हम जिएँ न जिएँ दोस्त तुम जियो
Moreमूरख है कालीघाट का पंडित सोचता है मंत्रोचार से और लाल पुष्पों से ढक लेगा पाप नहीं फलेगा कुल गोत्र के बहाने कृशकाय देह का दुःख मूरख है ममता बंदोपाध्याय का रसोइया
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