सबसे ग़रीब आदमी की

1 min read
hindi poem sabse gareeb aadmi by vinod kumar shukla

सबसे ग़रीब आदमी की
सबसे कठिन बीमारी के लिए
सबसे बड़ा विशेषज्ञ डॉक्टर आए
जिसकी सबसे ज़्यादा फ़ीस हो

सबसे बड़ा विशेषज्ञ डॉक्टर
उस ग़रीब की झोंपड़ी में आकर
झाड़ू लगा दे
जिससे कुछ गंदगी दूर हो।
सामने की बदबूदार नाली को
साफ़ कर दे
जिससे बदबू कुछ कम हो।

उस ग़रीब बीमार के घड़े में
शुद्ध जल दूर म्युनिसिपल की
नल से भरकर लाए।
बीमार के चीथड़ों को
पास के हरे गंदे पानी के डबरे
से धोए।
कहीं और धोए।
बीमार को सरकारी अस्पताल
जाने की सलाह दे।
कृतज्ञ होकर
सबसे बड़ा डॉक्टर सबसे ग़रीब आदमी का इलाज करे
और फ़ीस माँगने से डरे।
सबसे ग़रीब बीमार आदमी के लिए
सबसे सस्ता डॉक्टर भी
बहुत महँगा है।

विनोद कुमार शुक्ल
+ posts

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं। कई सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए वर्ष 1999 का 'साहित्य अकादमी' पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं। कई सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए वर्ष 1999 का 'साहित्य अकादमी' पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

नवीनतम

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो

कोरोना काल में

समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन

भूख से आलोचना

एक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से