चिड़िया थी
उड़ा दी गई
बेटी थी
समझा दी गई

फिर कोई न लौटा

मुंडेर पर सूख गया दाना

आँगन के पैर से
खोल ले गया
पाज़ेब कोई

शैलजा पाठक
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शैलजा पाठक अल्मोड़ा, उत्तराखंड से हैं और हिंदी कविता जगत की समर्थ कवियित्रयों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय समय पर देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन दिनों आपका काव्य संग्रह ‘मैं एक देह हूँ, फिर एक देहरी’ अपने पाठकों के बीच है।

शैलजा पाठक अल्मोड़ा, उत्तराखंड से हैं और हिंदी कविता जगत की समर्थ कवियित्रयों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय समय पर देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन दिनों आपका काव्य संग्रह ‘मैं एक देह हूँ, फिर एक देहरी’ अपने पाठकों के बीच है।

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