मैंने पहली बार महसूस किया है कि नंगापन अन्धा होने के खिलाफ़ एक सख्त कार्यवाही है उस औरत की बगल में लेटकर मुझे लगा कि नफ़रत और मोमबत्तियाँ जहाँ बेकार साबित हो
समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन चुके? यह समय और सत्ता दोनों ने बता दिया। बच्चे बेहतर है तुम स्याही का मतलब
Moreएक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से होनी चाहिए।’ आजादी के बाद देश के हुक्मरानों की कितनी आलोचनाओं को दिमाग वालों ने मारा,
Moreएक पुराने दुःख ने पुछा क्या तुम अभी वहीं रहते हो? उत्तर दिया, चले मत आना मैंने वो घर बदल दिया है जग ने मेरे सुख-पन्छी के पाँखों में पत्थर बांधे हैं
Moreजो प्यार में होते हैं चाँद उनकी शाम में बिखरे पत्तों से निकलता है और उठकर खेतों में चला जाता है जो प्यार में होते हैं पूरी-पूरी रात गेहूँ की बालियाँ बीनते
Moreचिड़िया की बारात नहीं आती चिड़िया पराई नहीं हो जाती चिड़िया का दहेज नहीं सजता चिड़िया को शर्म नहीं आती तो भी चिड़िया का ब्याह हो जाता है चिड़िया के ब्याह में
Moreयह अधनंगी शाम और यह भटका हुआ अकेलापन मैंने फिर घबराकर अपना शीशा तोड़ दिया। राजमार्ग—कोलाहल—पहिए काँटेदार रंग गहरे यंत्र-सभ्यता चूस-चूसकर फेंके गए अस्त चेहरे झाग उगलती खुली खिड़कियाँ सड़े गीत सँकरे
Moreलोग कहते हैं— उदास दिखना उदास होने से ज़्यादा ख़राब समझा जाता है। सो जाओ कि रात बहुत गहरी है और काली है। सो जाओ कि अब कोई उम्मीद नहीं जगाएगा तुम्हारे मन
Moreमैंने उसको जब-जब देखा लोहा देखा लोहे जैसा तपते देखा गलते देखा ढलते देखा मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा!
Moreदिखने में जो अक्सर आसान से दिखते हैं एक कवि को करने होते हैं ऐसे कई पेचीदा काम मसलन बहुत सारे कठिन कामों में एक कठिन काम है नदियों की कलकल करती
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