वक़्त को गुज़रते देख रहा हूँ
क्या पाया, क्या खोया
फ़ैसले सही या ग़लत
सही वक़्त पर या देरी से
इसी जद्दोजेहद में
काश ऐसे होता, काश वैसे

क्या ठहर जाना इतना मुश्किल है?

न पाए जाने की कचोट
और पाए जाने की लालसा में
हम क्यूँ भाग रहे होते हैं?
माज़ी और मुस्तक़बिल के बीच
फँसा जो मौजूदा मैं हूँ
वो मैं होकर भी मैं नहीं हूँ
मेरा मन ख़्वाहिशों-ख़यालों की दौड़ में है
जैसे किसी चूहे की दौड़
जिसमें मीलों भागने पर भी
वहीं का वहीं हूँ – उसी जगह
वक़्त को गुज़रते देख रहा हूँ

अक्षय यदुवंशी
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अक्षय यदुवंशी ग़ाज़ियाबाद से हैं और इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की है। आप पेशे से अभिनेता हैं, TV और रंगमंच से पूरी तरह जुड़े हैं। साहित्य और कला में रुचि के चलते अपनी नौकरी छोड़ कर अब पूरी तरह अभिनय से जुड़े हैं। आपसे 007akkiyaduvanshi@gmail.com पे बात की जा सकती है।

अक्षय यदुवंशी ग़ाज़ियाबाद से हैं और इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की है। आप पेशे से अभिनेता हैं, TV और रंगमंच से पूरी तरह जुड़े हैं। साहित्य और कला में रुचि के चलते अपनी नौकरी छोड़ कर अब पूरी तरह अभिनय से जुड़े हैं। आपसे 007akkiyaduvanshi@gmail.com पे बात की जा सकती है।

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