कोई अधूरा पूरा नहीं होता

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कोई अधूरा पूरा नहीं होता
और एक नया शुरू होकर
नया अधूरा छूट जाता
शुरू से इतने सारे
कि गिने जाने पर भी अधूरे छूट जाते

परंतु इस असमाप्त –
अधूरे से भरे जीवन को
पूरा माना जाए, अधूरा नहीं
कि जीवन को भरपूर जिया गया

इस भरपूर जीवन में
मृत्यु के ठीक पहले भी मैं
एक नई कविता शुरू कर सकता हूँ
मृत्यु के बहुत पहले की कविता की तरह
जीवन की अपनी पहली कविता की तरह

किसी नए अधूरे को अंतिम न माना जाए।

विनोद कुमार शुक्ल

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं। कई सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए वर्ष 1999 का 'साहित्य अकादमी' पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं। कई सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए वर्ष 1999 का 'साहित्य अकादमी' पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

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