ज़िस्म की भूख

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ज़िस्म की भूख कहें या हवस का ज्वार कहें।
सतही जज्बे को मुनासिब नहीं है प्यार कहें॥

बारहा फ़र्द की अज़मत ने जिसे मोड़ दिया।
हम भला कैसे उसे वक़्त की रफ़्तार कहें॥

जलते इनसान की बदबू से हवा बोझिल है।
फिर भी इसरार है मौसम को खुशगवार कहें॥

आर्मस्ट्रांग तो कहता है चाँद पत्थर है।
दौरे हाज़िर में किसे हुस्न का मेआर कहें॥

अदम गोंडवी

अदम गोंडवी (राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है.उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है। उनके काव्य संग्रह धरती की सता पार (पृथ्वी की सतह) और सामे से मुथबेड़े (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। 

अदम गोंडवी (राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है.उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है। उनके काव्य संग्रह धरती की सता पार (पृथ्वी की सतह) और सामे से मुथबेड़े (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। 

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